ख़ुशी।
क्या है ख़ुशी?
किसी के लिए उसका प्यार ख़ुशी है।
किसी के लिए उसका घर-बार ख़ुशी है।।
किसी के लिए दोस्त-यार ख़ुशी हैं।
किसी के लिए उसके ख़्वाब ख़ुशी हैं।।
किसी के लिए संगीत-कला ख़ुशी है।
किसी के लिए पूजा-पाठ ख़ुशी है।।
किसी के लिए उसका धर्म ख़ुशी है।
किसी के लिए उसका कर्म ख़ुशी है।।
यूँ तो ख़ुशी के नाम अनेक हैं,
पर सच तो यह है कि ख़ुशी बस... ख़ुशी है।।
यह न कभी आती है, न कभी जाती है।
जो पाना चाहे उसके तो मन में धड़कन सी समाई होती है।।
भूले भटके दुखियारों की, बस, नज़रों से ओझल हो जाती है ख़ुशी।
पर जो खोजने की कोशिश की जाए, किसी न किसी रूप में फिर प्रकट हो जाती ख़ुशी है।।
दो पल ठहर के तो देख, ख़ुशी कितनी ख़ुशी देती है।
कैसे जीवन-भर के ग़म एक मुस्कराहट में सिमटा सकती ख़ुशी है।।
बच्चों की किलकारी में, बड़ों की नादानी में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
फूलों की क्यारी में, सावन के ठण्डे पानी में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
चिड़ियाँ के संगीत में, सर पर पड़ती बीट में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
बेताले मनमौजी गायक के शौचालय से निकलते स्वरों में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
माँ की फटकार में, शब्दों के मीठे वार में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
स्वादिष्ट भोजन में, बढ़ते-न बढ़ते वज़न में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
आँखों में बसे सुन्दर चेहरे में, उसकी बार-बार कही 'ना' में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
लड़ते-झगड़ते फिर एक होते भाई-बहन के प्यारे रिश्ते में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
बचपन की मीठी यादों के मन में बसे पलों में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
अचानक याद आई पुरानी किसी बात पर फूटी मुस्कान में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
फिर लोगों की उठती उन शक से भरी नज़रों में भी,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
तुमसे नफ़रत करते किसी व्यक्ति के जीवन में मिले महत्त्व में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
बस की खिड़की से बाहर देखते हुए, अभिनेता होने का अभिनय करने में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
आते-जाते, चोरी-चोरी ख़ुद को शीशे में ताकने में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
आँखों की नमी में, आंसू पोछतें अपनों की फ़िक्र में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
जीत में हार में, प्यार में फटकार में,
हँसने में रोने में, जगने में सोने में,
ख़ुशी ही ख़ुशी है।
जो पाना चाहे उसके लिए तो ज़िन्दगी का नाम ख़ुशी है।
जो न पाना चाहे उसके लिए ख़ुशी में भी नहीं ख़ुशी है।।
अच्छा है या बुरा है, जब वक़्त बदलना ही है प्यारे,
तो तू किस बात के शोक में बैठा उदास है?
बुद्धि पर पड़े परदे को उठा और देख,
जो-जो चाहिए वो सब तो तेरे पास है!
अरे, नज़रें फ़िरा के देखेगा तो जानेगा, हर सिक्के के एक पहलू में ख़ुशी है।
बढ़ा तू भी अब एक कदम ख़ुशी की ओर, क्यूंकि तेरी ख़ुशी में औरों की ख़ुशी है।।
4 comments:
Poem achhi likhi hai, great thoughts hamesha ki tarah,
par google translate ka use kiya lagta hai. Congratulations for the attempt, is length ki itni achhi poem padh ke khushi hui:)
Poem achhi likhi hai, great thoughts hamesha ki tarah,
par google translate ka use kiya lagta hai. Congratulations for the attempt, is length ki itni achhi poem padh ke khushi hui:)
Thanks Rohan. I used Blogger for writing this poem. The spelling mistakes have been corrected.
Glad you liked it. :)
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